हम एक व्यक्ति को अपने लैपटॉप पर काम कर रहे होंडा एविएटर पर बैठे हुए देख सकते हैं, स्कूटर सड़क के किनारे भीड़भाड़ वाले ट्रैफिक के बीच खड़ा है, और पीछे बैठा व्यक्ति अपने लैपटॉप पर काम कर रहा है।
भारतमें कोविड के दौरान घर से काम करना अनिवार्य किया गया और कई कॉर्पोरेट कार्यालयों में कर्मचारियों से डेडलाइन देकर काम कराया जाता है। इस बीच कर्मचारियों के पास ‘जितनी जल्दी हो सके’ काम पूरा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसा ही एक ममाला आजकल चर्चा में है, जिसमें एक फ्लाईओवर के किनारे स्कूटर पर काम कर रहे एक व्यक्ति की तस्वीर वायरल हो गई है। बेंगलुरु से वायरल हुई यह तस्वीर देखते ही देखते इंटरनेट पर छा गई।
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क्या है मामला
तस्वीर को हर्षदीप सिंह नाम के एक व्यक्ति ने लिया है, और इन्होंने इस घटना की डिटेल पर भी अपने लिंक्डइन अकाउंट पर साझा की है। तस्वीर में, हम एक व्यक्ति को अपने लैपटॉप पर काम कर रहे होंडा एविएटर पर बैठे हुए देख सकते हैं, स्कूटर सड़क के किनारे भीड़भाड़ वाले ट्रैफिक के बीच खड़ा है, और पीछे बैठा व्यक्ति अपने लैपटॉप पर काम कर रहा है।
इस तस्वीर के कैप्शन में हर्षदीप सिंह ने बताया कि उन्हें इस घटना पर कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए- मजाक में या निराशा में। इस आदमी का उदाहरण और यातायात के बीच में काम करने की उसकी जल्दबाजी का हवाला देते हुए ये कहते हैं, कि कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम को डेडलाइन पर खत्म करना जरूरी है।
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भारत में बिगड़ता वर्क कल्चर
उनका कहना है कि अगर कोई बॉस अपने कर्मचारियों को काम के लिए धमका रहा है या उनकी सुरक्षा की कीमत पर लक्ष्य पूरा कर रहा है, तो ऐसे वर्क कल्चर पर विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि कार्यलय में बोले गए शब्द ‘यह जरूरी है’ और ‘इसे जल्द से जल्द करें’ अधिक सावधानी से उपयोग करना बेहतर है, क्योंकि इन शब्दों से कर्मचारियों के जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है।

नोट कुछ लोगों ने बताया कि महानगरों में कॉर्पोरेट जीवन भारत में कई युवाओं के लिए एक सपना हो सकता है, लेकिन उनमें से कई इस जीवन के अंधेरे पक्ष से अनजान हैं, जिसका वे इसमें प्रवेश करने के बाद सामना करते हैं। लंबे समय तक काम करना, असुरक्षित नौकरी अवधि और वरिष्ठों और सहकर्मियों से समर्थन मिल पाना कॉर्पोरेट जीवन में आम है। कुछ नेटिज़न्स ने यह भी कहा कि ऐसे प्रबंधक या टीम के नेता अमानवीय राक्षस हैं जो मानव जीवन को बिल्कुल भी महत्व या सम्मान नहीं देते हैं।
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