इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, जो फिलहाल केवल बड़े शहरों में ही उपलब्ध है। हालांकि यह तेजी से बदल रहा है, और पूरे भारत में अधिक ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के लिए ICE वाहनों की तुलना में बहुत कम लागत आती है, लेकिन ईवी की प्रारंभिक लागत बहुत अधिक है।
Indian Army to Buy Electric Vehicles : देशभर में लॉन्च हो रहे इलेक्ट्रिक वाहनों के बाद अब भारतीय सेना भी इलेक्ट्रिक कार, मोटरसाइकिल और बसें खरीदने के लिए पूरी तरह तैयार है। इंडियन आमी (India Army) के वाहनों के पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। भारतीय सेना की इलेक्ट्रिक वाहन पहल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने व कार्बन फुटप्रिंट में कटौती करने के लिए है।
इस दिशा में आगे बढ़ते हुए इंडियन आर्मी (India Army) ने पहले ही नई दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रिसर्च शुरू कर दिया है, दिल्ली के बाद ईवी का सफर भारती सेना के लिए पुणे, कोलकाता और लखनऊ जैसे अन्य स्थानों पर होगा। सेना लड़ाकू कर्मियों और गैर-लड़ाकू कर्मियों दोनों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का बुनियादी ढांचा स्थापित कर रही है। हालांकि, ये इलेक्ट्रिक वाहन शांतिकाल स्थानों (Peaceful Place) तक ही सीमित रहेंगे।

दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय सेना केवल गैरलड़ाकू क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक वाहनों को तैनात करने की योजना बना रही है, और सीमावर्ती क्षेत्रों में आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहन ही जारी रहेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय सेना के कई सीमावर्ती क्षेत्रों में बिजली की पहुंच एक बड़ी चुनौती है, और कुछ जगहों पर तापमान शून्य से लेकर 50 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है।
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इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के लिए आईसीई वाहनों की तुलना में बहुत कम लागत आती है, लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है, कि ईवी की प्रारंभिक लागत बहुत अधिक है। वहीं ईवीएस की रखरखाव लागत आईसीई वाहनों की तुलना में केवल एक अंश है, आपको इलेक्ट्रिक वाहनों में 7 वर्षों के बाद बैटरी बदलने की लागत आती है, जो काफी अधिक हो सकती है। यानी आप जितना 7 साल में बचा सकते हैं, बैटरी की लगात उस रकम की पूरी भरपाई कर देगी।
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इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, जो फिलहाल केवल बड़े शहरों में ही उपलब्ध है। हालांकि यह तेजी से बदल रहा है, और पूरे भारत में अधिक ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी भारत के अधिकांश हिस्सों में 24 7 बिजली की पहुंच अभी भी स्थापित नहीं हुई है, और जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक ईवीएस को आईसीई वाहनों की जगह लेने में मुश्किल होगी। ऐसे में ईवी का भविष्य भारत में धूंधला है, हालांकि, हाइब्रिड वाहन जरूर कारगर हो सकते हैं।
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