बता दें, फोर्ड ने सितंबर 2021 में भारत से एग्जिट की घोषणा की थी, और फोर्ड इंडिया उन 20 अलग-अलग कंपनियों में से एक थी, जिन्हें फरवरी 2022 में घोषित भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम – पीएलआई योजना के तहत चुना गया था।
Ford India Update : अमेरिका की कार कंपनी फोर्ड ने बीते साल सितंबर में घोषणा की थी, कि वह अब यहां अपने वाहनों का प्रोडक्शन नहीं करेगी। वहीं अब फोर्ड मोटर कंपनी ने वैश्विक बाजारों के लिए भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक कार बनाने की अपनी योजना पर भी विराम लगा दिया है। कंपनी के मैनेजमेंट ने इस बात की जानकारी ने चेन्नई संयंत्र के कर्मचारियों को दी। बता दें, फोर्ड ने सितंबर 2021 में भारत से एग्जिट की घोषणा की थी, और फोर्ड इंडिया उन 20 अलग-अलग कंपनियों में से एक थी, जिन्हें फरवरी 2022 में घोषित भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम – पीएलआई योजना के तहत चुना गया था। खैर, लगता है, फोर्ड को भारत पसंद नहीं आया और फोर्ड ने अब देश में निवेश नहीं करने का फैसला किया है।
साल 1995 में शुरू हुआ सफर
हालांकि कुछ रिपोर्ट पर विश्वास करें तो फोर्ड द्वारा भारत से एग्जिट करने का सबसे अहम कारण कंपनी द्वारा अपने इंटरनल लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाना है। फिलहाल, फोर्ड इंडिया साणंद, गुजरात और चेन्नई में बने अपने कारखाने को बेचने की योजना में है, और कंपनी ने पहले ही दोनों संयंत्रों में उत्पादन बंद कर दिया है। वहीं टाटा मोटर्स और फोर्ड इंडिया गुजरात स्थित प्लांट के लिए बातचीत कर रहे है, अगर टाटा इस प्लांट का सौदा करती है, तो वह यहां इलेक्ट्रिक कारों को विकसित करेगी। फोर्ड ने साल 1995 में भारत में प्रवेश किया और तब से देश भर में नए और मौजूदा ग्राहकों के लिए कंपनी ने विनिर्माण सुविधाओं, सेल्स और सर्विस सेंटर का एक नेटवर्क स्थापित करने के लिए अरबों अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। कंपनी के भारत में मौजूद ये प्रोडक्शन प्लांट न केवल घरेलू बाजार के लिए, बल्कि विभिन्न निर्यात बाजारों के लिए भी इंजन और वाहनों का उत्पादन करती आई हैं।
कंपनी की योजनाएं पहले थी कुछ और
चेन्नई, तमिलनाडु और साणंद, गुजरात में फोर्ड के प्लांट में 6.1 लाख इंजन और 4.4 लाख वाहनों की संयुक्त विनिर्माण क्षमता है, और कंपनी के लाइनअप में मौजूदा फिगो, नई एस्पायर और इकोस्पोर्ट जैसी कारें भारत से 40 से अधिक वैश्विक बाजारों में निर्यात किए जाते हैं। लेकिन फोर्ड ने हाल ही में अपने ग्राहकों की पकड़ को बदल दिया है, और अब यह ग्राहक-सेवा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है, विशेष रूप से बिक्री के बाद की। वर्तमान में, फोर्ड के भारत भर के 209 शहरों में 376 सेल्स एंड सर्विसस सेंटर आउटलेट थे। ब्रांड ने हाल ही में भारतीय बाजार के लिए एक नई मध्यम आकार की एसयूवी को विकसित करने के लिए भारत के घरेलू ऑटोमोटिव निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ साझेदारी भी शुरू की थी।
फोर्ड ग्राहकों की मुसीबत
फोर्ड के भारतीय संयंत्रों में उत्पादन बंद करने से न केवल उसके कर्मचारियों बल्कि उसके ग्राहकों को भी बड़ा झटका लगा। इसने फोर्ड के मौजूदा ग्राहकों को अपनी कारों की सर्विस, पार्ट और रिसेल वेल्यू के बारे में चिंतित कर दिया है। बता दें, फोर्ड का डीलर नेटवर्क पार्ट और सर्विस सपोर्ट और वारंटी पैकेज की पेशकश करना जारी रखेगा। लेकिन भारतीय बाजार से बाहर निकलने वाले दूसरे कार निर्माता ओपल और शेवरले जैसे ब्रांडों के ग्राहकों के लिए यह अनुभव सुखद नहीं था। दोनों कंपनियों ने अपनी विनिर्माण सुविधाएं नए प्रवेशकों को बेच दीं और डीलरशिप जल्द ही बंद हो गईं। जिसके बाद मौजूदा कार मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कंपनी ने भारत से एग्जिट के दौरान एक मीडिया वेबसाइट से बातचीत की और बताया कि देश में कारों का उत्पादन रोकना बड़ा फैसला है, और निश्चित रूप से यह स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता पर बहुत बड़ा प्रभाव डालेगा जैसा कि हमने अतीत में अन्य ब्रांडों के साथ देखा है जिन्होंने हमारे बाजार को छोड़ दिया है। हालांकि कंपनी ने कहा है कि आफ्टरसेल्स और स्पेयर पार्ट्स का लंबे समय तक ख्याल रखा जाएगा, लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है।