केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा Bharat NCAP को मंजूरी देने के बाद मारुति सुजुकी के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने इस नए प्रोग्राम पर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, भारत यूरोप से बिल्कुल अलग बाजार है जहां क्रैश टेस्ट रेटिंग एक बेंचमार्क है। इनका कहना है, कि यूरोप में कार की टेस्टिंग जिस तरह से वाहनों को खरीदने का एक बेंचमार्क है, यह भारत में संभव नहीं है।
Maruti’s Reaction on Bharat NCAP : बीते कुछ दिनों से क्रैश टेस्ट को लेकर चर्चा का माहौल गर्म है, हाल ही में किआ कैरेंस को NCAP में 3-स्टार रेटिंग दी गई। जो काफी निराशाजनक रही। वहीं इस खबर के अगले दिन केंद्रीय सड़क और परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत एनकैप (Bharat NCAP) नाम से कार असेसमेंट प्रोग्राम को मंजूरी दी है। जिसके माध्यम से अब Global NCAP की तर्ज पर ही भारत में कार क्रैश टेस्ट कर उनकी सुरक्षा का पता लगाया जा सकेगा। देश में शुरू हो रहे इस असेसमेंट प्रोग्राम के तहत कारों के सेफ्टी फीचर्स के आधार पर उन्हें रेटिंग्स दी जाएंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्रैश टेस्ट क्या होते हैं, आरै भारत का देसी (Bharat NCAP) इस दिशा में किस प्रकार के बदलाव लेकर आएगा।
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क्या होता है Global NCAP
तो सबसे पहले आपको बताते हैं, कि एनसीएपी क्या होता है? NCAP का मतलब न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम है, और यह दुनिया की विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जाता है। दुनिया भर में कारों की सुरक्षा को जांचने के लिए यूरो एनसीएपी, आसियान एनसीएपी, ग्लोबल एनसीएपी, ऑस्ट्रेलियाई एनसीएपी, जापान एनसीएपी, लैटिन एनसीएपी, कोरियाई एनसीएपी, चीन एनसीएपी, यूएसए के लिए आईआईएचएस जैसे कई असेसमेंट प्रोग्राम हैं, और ये सभी एजेंसियां वास्तविक समय की दुर्घटना की स्थिति के अनुसार कार की सुरक्षा को मापती हैं।
इन प्रोग्राम में अलग अलग आयु के डमी का प्रयोग किया जाता है, ये डमी विभिन्न मापदंडों का आकलन करने के लिए सेंसर्ड और हाई क्वालिटी वाले होते हैं, और कार की टेस्टिंग के आधार पर उन्हें 5 में से स्टार दिए जाते हैं। Global NCAP में दी गई रेटिंग में 5 स्टार सबसे बेस्ट माना जाता है, जिसके बाद 4 स्टार कारें भी सुरक्षित कारों की ही रेंज में आती हैं, लेकिन इससे कम स्टार मिलने पर कार की सुरक्षा पर सवाल खड़ें हो जाते हैं, जैसे अभी किआ कैरेंस को लेकर हो गए हैं।
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मारुति सुजुकि को किस बात का डर?
खैर, अब आते हैं, Maruti Suzuki की कारों पर। तो मारुति सुजुकी Bharat NCAP के तहत हर नए वाहन के लिए क्रैश टेस्ट अनिवार्य करने का कड़ा विरोध करती रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा भारत एनसीएपी को मंजूरी देने के बाद मारुति सुजुकी के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने इस नए प्रोग्राम पर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, भारत यूरोप से बिल्कुल अलग बाजार है जहां क्रैश टेस्ट रेटिंग एक बेंचमार्क है। इनका कहना है, कि यूरोप में कार की टेस्टिंग जिस तरह से वाहनों को खरीदने का एकक बेंचमार्क है, यह भारत में संभव नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में यह नई बेंचमार्किंग प्रणाली केवल “अमीर लोगों” को ही फायदा देगी और इससे दोपहिया खरीदारों को बेहतर परिवहन प्रदान नहीं किया जा सकेगा। मारुति सुजुकी की ओर से ये विकास उस समय हुआ जब भारत सरकार सभी निर्माताओं और उसके पोर्टफोलियो में एक स्टैंडर्ड टेस्टिंग प्रोटोकॉल लागू करने की कोशिश कर रही है। इससे पहले भी मारुति देश में सुरक्षा का विरोध करती आई है। हाल ही में सभी वाहनों में 6 एयरबैग अनिवार्य करने की घोषणा के बाद भी मारुति ने सवाल उठाए। जो कुछ हद तक जायज भी थे। क्योंकि इससे सस्ती कारों को खरीदने के लिए भी खरीदारों को मोटी रकम चुकानी पड़ेगी।
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क्यों शुरू हुआ Bharat NCAP?
सरकार वाहन निर्माता कंपनियों को सुरक्षित कार बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है, और इसी लिए यह कदम उठाया गया है। इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा और गुणवत्ता के मामले में ऑटोमोटिव उद्योग का उत्थान होगा। इसके साथ ही अब प्रत्येक कार में 6 एयरबैग अनिवार्य होंगे। जो कारों की कीमत में इजाफा करेगा। भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी का विरोध काफी भ्रमित करने वाला है। सरकार ने हर एक कार को एक निश्चित बेसलाइन क्रैश रेटिंग के साथ क्रैश टेस्ट पास करने के लिए अनिवार्य नहीं किया है। एक उत्पाद (Car) 0-स्टार रेटिंग के साथ क्रैश टेस्ट में बुरी तरह विफल हो सकती है, और फिर भी अच्छी संख्या में बिक सकती है।
क्योंकि भारत सरकार सिर्फ भारतीय कार खरीदारों को यह जानना चाहती है कि वे क्या कर रहे हैं। सरकार के अनुसार लोगों को उनके कार जैसे बड़े निवेश के बारे में क्रैश रेटिंग जैसी महत्वपूर्ण जानकारी देना आवश्यक है। वहीं बजट कारों पर कम क्रैश रेटिंग कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह अपेक्षित है। लेकिन 10 लाख से ज्यादा कीमत की कारों की कम रेंटिंग शायद ही खरीदारों को स्वीकार्य हो।